राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) का क्रियान्वयन ग्रामीण विकास मंत्रालय - द्वारा किया जाता है जो कि सरकार के सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में से एक है। इस योजना के तहत सरकार की गरीबों तक सीधे पहुंच रहेगी और विकास के लिए विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाएगा। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन का गारंटीशुदा अकुशल मजदूरी/रोजगार वित्तीय वर्ष में प्रदान किया जाएगा।यह अधिनियम 2 फरवरी, 2006 को लागू किया गया और इसे कई चरणों में लागू किया गया। पहले चरण में 200 सबसे पिछड़े जिलों में लागू किया गया। 2007-08 में दूसरी किस्त में 130 जिलों को जोड़ा गया। प्राथमिक लक्ष्य के अनुसार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का शुरुआती पांच सालों में पूरे देश में विस्तार किया जाएगा। संपूर्ण राष्ट्र को एक सुरक्षित दायरे और मांग की दृष्टि से इस योजना का विस्तार 274 ग्रामीण जिलों में किया गया। 1 अप्रैल, 2008 में इसका तीसरा चरण आरंभ किया गया।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहला कानून है। इसमें एक बड़े पैमाने पर रोजगार गारंटी प्रदान की जाती है। इस अधिनियम का लक्ष्य रोजगार को बढ़ाना है। इसका सीधा लक्ष्य है कि प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन द्वारा सही उपयोग और गरीबी के कारणों जैसे सूखा, जंगलों की कटाई, मिट्टी के कटाव आदि को रोकने के प्रयास द्वारा नरेगा को सही तरीके से विकास मे लगाना है। इस प्रक्रिया के द्वारा लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत बनाना भी सरकार की जिम्मेदारी है।
अधिकार आधारित ढांचे और मांग आधारित होने के कारण राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम पहले चलाए गए रोजगार कार्यक्रमों से बिल्कुल अलग है। विकेंद्रीकरण को मजबूत करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मजबूती में यह अधिनियम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। योजना निर्माण, निगरानी और अनुपालन में पंचायती राज संस्थाओं को यह अधिनियम एक केंद्रीय भूमिका प्रदान करता है। इस अधिनियम की अनोखी बात समय पर रोजगार गारंटी और 15 दिन में मजदूरी का भुगतान किया जाना है। अधिनियम के अनुसार मजदूरी का 90 प्रतिशत केंद्र सरकार देगी या काम के अभाव में दिए जाने वाले बेरोजगारी भत्ते का वहन राज्य सरकार को करना होगा। इसका खर्च केंद्र सरकार द्वारा दिए गए बेरोजगारी भत्ते में से राज्य को स्वत: प्रबंध करना होगा तथा श्रम आधारित कार्यों को बढ़ावा देना तथा मशीनों और ठेकेदारों की भूमिका का न होना इस अधिनियम की अन्य खास बातें हैं। इस योजना में 33 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी को अनिवार्य बनाया गया है। पिछले दो सालों से अनुपालन रुझानों से अधिनियम की आधारभूत वस्तुनिष्ठता प्रमाणित होती है।
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